WhatsApp
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WhatsApp ने पिछले साल नवंबर में बड़ा कदम उठाया! कंपनी ने पूरे महीने में 71 लाख से ज़्यादा यूज़र्स के अकाउंट्स बंद कर दिए। ये जानकारी हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट में दी गई है। खास बात ये है कि इनमें से 19 लाख से ज़्यादा अकाउंट्स तो ऐसे थे जिन्हें किसी ने रिपोर्ट करने से पहले ही कंपनी ने बंद कर दिया था।

इसका मतलब हुआ कि व्हाट्सएप अपने ही सिस्टम के ज़रिए इन अकाउंट्स में गलत गतिविधि पकड़ कर उन्हें बैन कर रहा है। बाकी बचे अकाउंट्स यूज़र्स द्वारा रिपोर्ट किए गए थे और व्हाट्सएप ने उनकी जांच करके उन पर कार्रवाई की। कुल मिलाकर व्हाट्सएप ने नवंबर में यूज़र सुरक्षा को लेकर ज़रूरी कदम उठाए हैं।

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हालांकि ये भी ध्यान देने वाली बात है कि सरकार की तरफ से बनी एक कमिटी से आठ आदेश भी मिले थे और व्हाट्सएप ने उन सभी का पालन किया है। ये कमिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ी शिकायतों का समाधान करती है और व्हाट्सएप ने उसकी बात मानकर दिखाया है कि वो भारत के नियमों का सम्मान करता है।

तो कुल मिलाकर व्हाट्सएप की ये रिपोर्ट बताती है कि यूज़र सुरक्षा और नियमों के पालन पर कंपनी का फोकस बढ़ रहा है। लेकिन सवाल ये भी उठता है कि कहीं कंपनी गलती से सही अकाउंट्स को तो नहीं हटा रही है? ये सवाल भविष्य में जांच का विषय रहेगा।

व्हाट्सएप इस बात पर काफी ज़ोर देता है कि, उसके प्लेटफॉर्म पर गलत काम न हो। इसके लिए वो दो तरीके अपनाता है – पहला, वो अपने ही सिस्टम के ज़रिए ये पता लगाता है कि कोई नियम- तोड़ रहा है और उस पर तुरंत एक्शन लेता है। दूसरा, अगर कोई यूज़र किसी गलत गतिविधि की शिकायत करता है तो व्हाट्सएप उसकी जांच करके ज़रूरी कार्रवाई करता है।

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व्हाट्सएप के नियम तोड़ने पर तीन तरीकों से उनका पता लगाता है:

  • पहला, जब कोई नया अकाउंट बनाता है तो उसकी जांच की जाती है कि कहीं वो गलत काम करने के लिए तो नहीं बनाया गया।
  • दूसरा, जब कोई मैसेज भेजा जाता है तो उस पर नज़र रखी जाती है कि कहीं उसमें गाली-गलौज, गलत तस्वीरें या कुछ दूसरे गलत चीज़ें तो नहीं भेजी जा रही हैं।
  • तीसरा, अगर किसी अकाउंट की रिपोर्ट आती है या उसे ब्लॉक किया जाता है तो एक खास टीम उसकी जांच करती है और ये तय करती है कि उस पर क्या कार्रवाई करनी चाहिए।

पिछले साल नवंबर में, व्हाट्सएप ने ‘Check the Facts’ नाम का एक अभियान भी चलाया था। इस अभियान का मकसद लोगों को ये बताना था कि वो अपने प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलने से कैसे रोक सकते हैं। इस अभियान में लोगों को बताया गया कि वो ‘ब्लॉक’ और ‘रिपोर्ट’ जैसे बिल्ट-इन फीचर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही, मैसेज पर लगे फॉरवर्ड लेबल्स से ये भी समझ सकते हैं कि ये मैसेज पहले भी कई बार भेजा जा चुका है और हो सकता है कि इसमें गलत जानकारी हो।

तो कुल मिलाकर, व्हाट्सएप ये दिखाना चाहता है कि वो अपने प्लेटफॉर्म पर गलत काम नहीं होने देगा और इसके लिए वो कई तरीके अपना रहा है। ये कितना सफल रहता है, ये तो भविष्य बताएगा, लेकिन उसकी कोशिश ये है कि यूज़र्स का अनुभव सुरक्षित और सुखद रहे। 

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